भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी जल विवाद || Bharat - Pakistan ke बीच Sindhu jal विवाद ||

    भारत-पाकिस्तान सिंधु नदी जल विवाद    

सिंधु नदी प्रणाली में मुख्यतः सिंधु नदी झेलम नदी चेनाब नदी रावी नदी व्यास नदी और सतलज नदी नदियों में शामिल है |इन नदियों केव्हा वाले क्षेत्र बेसिन को मुख्यतः भारत और पाकिस्तान साझा करते हैं |इसका एक बहुत छोटा ही सचिन और अफगानिस्तान को भी मिला हुआ है |झेलम चिनाव रावी व्यास एवं सतलज इसकी मुख्य सहायक नदियां हैं सिंधु नदी की उत्पत्ति माउंट कैलाश के पासमें होती है|

 तिब्बत में इसे सिंगी खंबन या शेर का मुख भी कहा जाता है |लद्दाख में यह लद्दाख रेंज एवं जांच कर रेंज के बीच सीधी बहती है| लेकर नीचे इसमें जांच कर नदी मिलती है |कारगिल के नजदीक से इसमें मिलती है |उत्तर पश्चिमी की ओर बहते हुए |इसमें शक नो ब्रो नामक सहायक नदियां  मिलती है|

सिंधु व उसकी सहायक नदियों के जल विवाद को समाप्त करने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच होने 1960 में सिंधु नदी जल संधि संपन्न हुई |इस संधि पर 19 सितंबर 1960 को भारत के प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू तथा पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर के विश्व बैंक के हस्तक्षेप से इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए |इसके तहत सिंधु नदी की सहायक नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में विभाजित किया गया|सतलज व्यास और रवि नदियों को पूर्वी नदी बताया गया जबकि झेलम, चिनाब और सिंधु को पश्चिम नदी बताया गया रावी, सतलुज और व्यास जैसी पूर्वी नदियों का औसत इस्तेमाल के लिए भारत को दे दिया गया इसके साथ ही पश्चिम नदियों और चिनाब का करीब 133 maf पाकिस्तान को दिया गया|



  • समझौते के मुताबिक पूर्वी नदियों का पानी कुछ  अपवाद को छोड़ दें तो भारत बिना रोक-टोक के इस्तेमाल कर सकता है भारत से जुड़े प्रावधानों के तहत रवि, सतलुज और व्यास नदियों के पानी का इस्तेमाल परिवहन बिजली और कृषि के लिए करने का अधिकार भारत को दिया गया

  •  उपर्युक्त समझौते के बावजूद भारत एवं पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी के जल को लेकर अक्षरा विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है


  •  जल संधि के तहत जिन पूर्वी नदियों के पानी  के इस्तेमाल को अधिकार भारत को मिला था  उसका उपयोग करते हुए भारत ने सतलज पर भाखड़ा बांध, व्यास नदी पर पोंग और पाण्डु बांध और रावी नदी पर रनजीत सागर बांध का निर्माण किया इसके अलावा भारत ने इन नदियों के पानी के बेहतर इस्तेमाल के लिए व्यास सतलज लिंक इंदिरा गांधी नहर और माधवपुर व्यास लिंक जैसी अन्य परियोजनाएं भी बनाई |इससे भारत को पूर्वी नदियों का करीब 95% पानी का इस्तेमाल करने में मदद मिली हालांकि इसके बावजूद रावी नदी का करीब 2 maf हर साल के पाकिस्तान की ओर चला जाता है| इस पानी को रोकने के लिए भारत सरकार ने कई उठाए शाहपुरखाड़ी परियोजना का निर्माण कार्य फिर से शुरू किया गया |इस परियोजना से थीन बांध के पावर हाउस से निकलने वाले पानी के इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर और पंजाब में 37000 हेक्टर भूमि को सिंचाई तथा 206 मेगावाट बिजली के उत्पादन के लिए किया जा सकेगा |


  1. उझ बहुउद्देशीय परियोजना: 
इस बहुउद्देशीय परियोजना की लागत 5850 करोड रुपए की लागत वाली इस परियोजना से उझ नदी पर 781 मिलियन सीयू एम जल का भंडारण किया जा सकेगा |जिसका इस्तेमाल सिंचाई और बिजली बनाने में होगा |इस पानी से जम्मू कश्मीर के कठुआ, हीरानगर और सांबा जिले में एक 31380 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी| और इसे पीने के पानी की आपूर्ति हो सकेगी परियोजना की डीपीआर को तकनीकी मंजूरी जुलाई 2017 में दी जा चुकी है|ब
2. बागलिहार परियोजना विवाद:
बगलिहार बांध चिनाव नदी पर भारत की परियोजना है जिसका पाकिस्तान विरोध कर रहा है उसके मुताबिक इस परियोजना की वजह से उसके यहां जल का प्रभाव कम हो जाता है |भारत का रेमंड lafite कि मध्यस्था के पश्चात 2007 में विवाद सुलझा और भारत के पक्ष को मान्यता दी गई |यह परियोजना डोडा जिला में है और इसका तहत 450 मेगावाट का जल विद्युत उत्पादन किया जाना है |प्रधानमंत्री ने नवंबर 2015 में या परियोजना देश को समर्पित किया|

3. किशनगंगा परियोजना:
 किशनगंगा परियोजना जम्मू कश्मीर में किशनगंगा नदी पर निर्माणाधीन है जोकि जेलम की सहायक नदी है इस परियोजना की जल विद्युत उत्पादन क्षमता 330 मेगावाट है इस परियोजना का भी पाकिस्तान ने विरोध किया परंतु द हैंग स्थित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ न्यायालय ने 2013 में भारत के पक्ष में निर्णय दिया



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