मध्यप्रदेश की प्रमुख संग्रहालय :Major museum of Madhya Pradesh
मध्य प्रदेश के पुरातात्विक अवशेषों को सुरक्षित रखने के लिए निर्मित भावनाओं को संग्रहालय कहा जाता है। राज्य के विभिन्न जिलों में अलग-अलग राजवंशों के शासनकाल में बनाए गए मूर्ति व अन्य अवशेषों को सुरक्षित करने के लिए संग्रहालय बनाया गया है। मध्यप्रदेश में राज्य के पुरातात्विक वैभव का अद्भुत खजाना मौजूद है,प्रदेश में पुरातत्व एवं दुर्लभ वस्तुओं के संरक्षण का कार्य 28 संग्रहालय के माध्यम से किया जा रहा है। इन संग्रहालय में 6 राज्य स्तरीय, 11 जिला स्तरीय, और 6 स्थानीय संग्रहालय, इन संग्रहालय का देखरेख पुरातत्व विभाग द्वारा किया जा रहा है।
शासकीय संग्रहालय, भोपाल
शासकीय संग्रहालय, भोपाल की स्थापना ब्रिटिश काल में वर्ष 1887 में हुई थी। ब्रिटिश शासन काल में इसे एडवर्ड म्यूजियम कहते है। आजादी के बाद मध्यप्रदेश शासन ने इसे 1964 में उद्धृत कर लिया और अब यह इससे स्टेट म्यूजियम के नाम से भी जाना जाता है। इस संग्रहालय की स्थापना के लिए श्यामला हिल्स में 5 एकड़ के परिसर में विशाल भवन का निर्माण किया गया है। इस संग्रहालय के जरिए मध्य प्रदेश के गौरवपूर्ण अतीत को रूबरू कराता है। इस संग्रहालय में जीवाश्म प्रागैतिहासिक, प्रतिमा, उत्खनन अभिलेख, मुद्रा, पेंटिंग, पांडुलिपि वस्त्र ,धातु प्रतिमा, आभूषण तथा स्वतंत्रता संग्राम आदि कला के रूप में प्रदर्शित किया गया है।
केंद्रीय पुरातत्व संग्रहालय, इंदौर
केंद्रीय पुरातत्व संग्रहालय इंदौर की स्थापना 1930 में हुई थी। यहां पर ईसा से 5000 वर्ष पूर्व की हस्त, कुठार, लीवर, स्क्रैपर, भाला, हाशिया आदि उपकरण सुरक्षित है।इस संग्रहालय में मुख्यतः परमार कालीन कला का प्रतिनिधित्व करने वाली हिंगलाजगढ़ की अद्वितीय मूर्तियां प्रदर्शित है।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय की स्थापना 1985 में भोपाल के श्यामला हिल्स में की गई है। । यहां पर जनजातीय विकास एवं उनकी लोक कलाओं तथा भवनों की विशेष प्रदर्शनी या एवं नमूना घर रखे गए हैं।
गुजरी महल संग्रहालय, ग्वालियर
गुजरी महल संग्रहालय की स्थापना 1922 में किया गया था। यह संग्रहालय केवल प्रदेश की ही नहीं बल्कि भारत देश के बड़े संग्रहालय में अपना अलग ही महत्व रखता है। इस संग्रहालय में मुख्यतः नटराज, शिव, वीणा धर, गजा सुर, वध आदि प्रतिमाएं हैं।
रानी दुर्गावती संग्रहालय, जबलपुर
इसकी स्थापना 1976 में किया गया था। इस संग्रहालय में कलचुरी काल की ब्राह्मण एवं जैन धर्म की प्रतिमाएं का अनूठा संग्रह किया गया है। इसके अलावा शिलालेख, ताम्रपत्र लेख, सोने, चांदी, तांबे के सिक्के आदि भी प्रदर्शित है। प्रतिमाओं में उमा महेश्वर, वराह, इंद्र, अग्नि, वरुण, कल्याणी देवी प्रमुख है।
तुलसी संग्रहालय, रामवन
यह सतना जिले के रामवन में स्थित है। इस संग्रहालय में बघेलखंड की पुरातात्विक संपदा के अनेक नायाब नमूने प्रदर्शित है। इस संग्रहालय को तुलसी संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है।
महाराजा छत्रसाल महाराजा छत्रसाल संग्रहालय, धुबेला (छतरपुर)
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय की स्थापना पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा वर्ष 1955 में छतरपुर के धुबेला ग्राम में की गई थी।इस संग्रहालय में पाषाण प्रतिमा में योगिनी प्रतिमा का अनूठा संग्रह है। तथा इसमें क्षेत्रीय इतिहास से संबंधित कृतियां एवं महाराजाओं से संबंधित आभूषण व अस्त्र-शस्त्र रखे गए हैं ।यहां विभिन्न प्रकार के दर्पण ओं को भी एक वीथी में प्रदर्शित किया गया है।
जिला पुरातत्व संग्रहालय, शहडोल
इस संग्रहालय का स्थापना 1983 में स्थापित किया गया है। इस संग्रहालय में पाषाण प्रतिमाओं का संग्रह है इन में मुख्यतः वैष्णव एवं देवी प्रतिमाओं की संग्रह है।
जिला पुरातत्व संग्रहालय, रीवा
इसकी स्थापना वर्ष 1988 में स्थापित किया गया है। इस संग्रहालय में कलचुरी शासकों के महत्वपूर्ण कला केंद्र है,यहां कुछ चांदी एवं तांबे के सिक्के भी संग्रहित किया गया है।
जिला पुरात्तत्व संग्रहालय, पन्ना
इस संग्रहालय की स्थापना 1988 में स्थापित किया गया है। इस संग्रहालय में गुप्त चंदेल एवं कलचुरी काल की पाषाण प्रतिमाएं प्रदर्शित है। तथा इसमें कुछ चांदी एवं तांबे के सिक्के सिक्कों का भी संग्रह है।
जहांगीर महल संग्रहालय, ओरछा (टीकमगढ़)
जहांगीर महल संग्रहालय की स्थापना सन 1990 में की गई है इस संग्रहालय में पाषाण प्रतिमाओं सती स्तंभों शिलालेख आदि के संग्रह हैं।
जिला पुरातत्व संग्रहालय, राजगढ़
इस पुरातत्व संग्रहालय की स्थापना 1976 में स्थापित की गई है इस संग्रहालय में जिले की विशिष्ट कलाकृतियों को संग्रहित किया गया है। इसमें अधिकांश हिंदू और जैन धर्म की है। यहां कुछ तांबे के सिक्के का भी संग्रह है।
जिला पुरातत्व संग्रहालय, होशंगाबाद
इस संग्रहालय का स्थापना 1984 में किया गया इसमें मुख्यत परमार कालीन वैष्णव जैन सेवा की प्रतिमाएं संग्रहित है। इस संग्रहालय की महत्वपूर्ण सामग्री हाथी का दांत के जीवाश्म है।
जिला पुरातत्व संग्रहालय, देवास
इसकी स्थापना 1988 में किया गया इस संग्रहालय में शाक्त, वैष्णव एवं जैन प्रतिमाएं हैं। स्थानीय मराठा हवेलियों की कुछ कास्ट कलाकृतियां भी प्रदर्शित किया गया है।
जिला पुरातत्व संग्रहालय, धार
इसकी स्थापना 1902 में स्थापित किया गया है। इस संग्रहालय में पाषाण प्रतिमाएं अभिलेखों एवं प्रागैतिहासिक सामग्री का संग्रह है। इन सभी प्रतिमाएं परमार कालीन के हैं सिक्कों में मुगल एवं सल्तनत कालीन सिक्के भी संग्रहित है।
जिला संग्रहालय, विदिशा
इस संग्रहालय की स्थापना 1940 में स्थापित किया गया है। सन 1962 में मध्य प्रदेश सरकार ने इसे अधिग्रहित कर लिया। इस संग्रहालय में 133 प्रतिमाएं वह सिक्कों का अच्छा संग्रह है। इस संग्रहालय में पूरा वस्तु विधि में मोहनजोदड़ो एवं बेसनगर की उत्खनन सामग्री मुख्य आकर्षण है।
यशोधर्मन संग्रहालय, मंदसौर
यशोधर्मन संग्रहालय की स्थापना 1982 में स्थापित हुई है। इस संग्रहालय में मंदसौर जिले के विभिन्न स्थानों से प्राप्त शैव, वैष्णो देवी, जैन संप्रदाय से संबंधित प्रतिमा को प्रदर्शित किया गया है। इसमें प्राचीन चांदी एवं तांबे के सिक्कों का भी अच्छा संग्रह है।
जिला संग्रहालय, मंडला
इसकी स्थापना सन् 1979 में स्थापित हुई है यहां 175 जीवाश्म प्रदर्शित हैं। इस संग्रहालय में हस्तलिखित ग्रंथ सिक्के भी संग्रहित है।
देवी अहिल्याबाई संग्रहालय, महेश्वर (खरगोन)
देवी अहिल्याबाई संग्रहालय की स्थापना 1974 में स्थापित किया गया है इस संग्रहालय में शैव , वैष्णो, जैन प्रतिमाओं के अतिरिक्त उत्खनन सामग्रियों व क्षेत्र के प्रमुख स्मारकों तथा देवी अहिल्या से जुड़े स्थलों के छायाचित्र को प्रदर्शित करते है होल्कर शासकों के अस्त्र शस्त्रों को भी प्रदर्शित किया गया है।
स्थानीय संग्रहालय, आशापुरी (रायसेन)
इसकी स्थापना 1965 में स्थापित किया गया है आशापुरी के विभिन्न स्थानों से संग्रहित प्रतिमाओं का सुंदर संग्रह है ।इनमें प्रतिमाएं अपनी कला एवं संपूर्णता के लिए प्रमाण कला की अनूठा उपलब्धि है। आशापुरी परमार स्थापत्य एवं कला का एक बहुत बड़ा केंद्र रहा है।
स्थानीय संग्रहालय, भानपुरा (मंदसौर)
इसकी स्थापना 1958 में स्थापित किया गया है। यशवंत राव होल्कर प्रथम की छतरी परिसर में संग्रहालय स्थित है।यहां की प्रतिमा नंदी प्रतिमा वर्ष 1985 में फेस्टिवल ऑफ इंडिया प्रदर्शनी अमेरिका में प्रदर्शित हो चुकी है।
स्थानीय संग्रहालय, पिछोर (ग्वालियर)
इसकी स्थापना 1977 में स्थापित पिछोर संग्रहालय मैं क्षेत्र की पाषाण प्रतिमाओं का सुंदर संग्रह है।
स्थानीय संग्रहालय, गंधर्वपुरी (देवास)
इस संग्रहालय की स्थापना 1964 में स्थापित किया गया है। इस संग्रहालय में पाषाण प्रतिमाओं का संकलन है३, जो परमार कालीन से वैष्णो देवी एवं जैन धर्म से संबंधित है।
- पुरातत्व संग्रहालय, सांची रायसेन
- पुरातत्व संग्रहालय,छतरपुर
- केंद्रीय पुरातत्व संग्रहालय, ग्वालियर
- सिंधिया संग्रहालय, ग्वालियर
- बिरला म्यूजियम, भोपाल
- माधवराव सप्रे पत्रकारिता संग्रहालय, भोपाल
- दूरसंचार संग्रहालय, भोपाल
0 Comments