राष्ट्रीय महिला आयोग:
राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 के अंतर्गत गठन 31 जनवरी 1992 में राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना की गई यह एक संवैधानिक निकाय है।
राष्ट्रीय महिला आयोग में कुल धाराएं 17,अधनियम की संख्या 20 हैं और अध्याय 5 यह कानून पूरे भारत में संपूर्ण भारत में विस्तारित है।
राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष 65 वर्ष जो भी पहले हो, होता है आयोग के अध्यक्ष के चुनाव हेतु अनुशंसा तत्कालिक केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी द्वारा अध्यक्ष पद चुनाव हेतु नियम अनुसार दी गई है आयोग के अध्यक्ष का चुनाव प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति करें वर्तमान में राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष पद हेतु चुनाव का प्रस्ताव केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है और केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री द्वारा उसे नियुक्त किया जाता है।
त्याग पत्र - केंद्र सरकार को
राष्ट्रीय महिला आयोग का गठन धारा 3 के नियमानुसार किया जाता है।
धारा 4 के अंतर्गत अध्यक्ष और सदस्यों की पद अवधि और सेवा शर्तें लागू किया जाता है।
राष्ट्रीय महिला आयोग के कार्य
राष्ट्रीय महिला आयोग के अधिनियम 1990 की धारा 10 में आयोग के कार्यों का उल्लेख किया गया है।
- महिलाओं से संबंधित वर्तमान उपबंध एवं कानूनों की समीक्षा करना।
- संविधान और अन्य विधियों के अधीन एक उप बंधित महिला संबंधित विषयों का अन्वेषण करना।
- महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव और उत्पीड़न कार्यस्थल पर यौन शोषण जैसी समस्याओं की जांच करना।
- महिला अपराध से संबंधित मामलों में सक्षम अधिकारी को सुझाव देना।
महिला आयोग की शाखाएं
महिला से संबंधित विभिन्न समस्याओं को सुनने हेतु आयोग द्वारा निम्न शाखाओं की स्थापना की गई है जो इस प्रकार हैं।
वैधानिक शाखा
यह शाखा महिलाओं को वैधानिक सहायता प्रदान करता है, और धन के संबंध में सुझाव देती है इसके द्वारा वर्तमान विधियों की समीक्षा कर यह ज्ञात किया जाता है कि यह विधि महिला विरोधी तो नहीं है।
लोक संबंध शाखा
लैंगिक के भेदभाव को समाप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार की शाखाएं और गोष्ठियों आयोजित करती है यह शाखा महिला कल्याण हेतु नीतियों को लागू करवाने के संबंध में सुझाव महिला आयोग को देती है।
उत्तर भारत शाखा
उत्तर भारतीय राज्य में महिलाओं को होने वाली समस्याओं के निदान हेतु इस शाखा का गठन किया गया है उत्तर भारत की महिलाओं से संबंधित मामलों में स्वत संज्ञान के आधार पर भी कार्य करता है।
अनिवासी भारतीय शाखा
अनिवासी भारतीय शाखा एनआरआई से संबंधित विषयों एवं महिला अत्याचारों के विषय में कार्य करता है राष्ट्रीय महिला आयोग को अनिवासी भारतीयों के विवाह संबंधित विवादों के संबंध में नोडल एजेंसी के रूप में भी बनाया गया है।
शिकायत एवं जांच शाखा
महिलाओं के विरुद्ध घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, उत्पीड़न उन्हें अकेला छोड़ देना, बलात्कार, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न, वमानवीय व्यवहार आदि के संबंध में शिकायत आयोग में शिकायत की जा सकती है।
आयोग की शक्तियां
राष्ट्रीय महिला आयोग सिविल न्यायालय की शक्तियां धारण करता है आयोग विभागों से रिपोर्ट मांग सकता है तथा किसी भी व्यक्ति या अधिकारी को समन जारी कर सकता है आयोग महिला संबंधित मामलों की स्वत संज्ञान में जांच कर सकता है आयोग शपथ पत्रों पर ग्रहण कर सकता है साक्षी और दस्तावेजों की परीक्षा की जांच करवा सकता है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष की सूची
आयोग की सीमाएं
राष्ट्रीय महिला आयोग की भूमिका केवल सहकारी है इसके अनुसंधान संघ और राज्य सरकारों के ऊपर बा अधिकारी नहीं होता है आयोग को संपूर्ण वित्तीय सहायता संघ ने सरकार द्वारा प्रदान की जाती है आयोग के सदस्यों का चयन स्वयं नहीं किया जाता बल्कि इनकी नियुक्ति संघ सरकार के द्वारा की जाती है अध्यक्ष और सदस्य राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण पूर्ण रूप से स्वतंत्र और निष्पक्ष कार्य करने में बाधित होते हैं।
महिलाओं से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
भारतीय संविधान में अनेक अनुच्छेदों के अंतर्गत महिलाओं के विकास से संबंधित प्रावधान किए गए हैं जो निम्न प्रकार के हैं
- अनुच्छेद 14 के अनुसार सभी भारतीय नागरिकों को राज्य के द्वारा सम्मान सुरक्षा देने का प्रावधान है।
- अनुच्छेद 15 (1) में प्रावधान है कि नागरिकों में जाति धर्म लिंग एवं मूल के आधार पर भेदभाव नहीं किया नहीं किया जा सकता है।
- अनुच्छेद 15 (3 )में स्पष्ट प्रावधान है कि महिलाओं के लिए राज्य किसी प्रकार का कोई विशेष प्रावधान कर सकता है।
- अनुच्छेद 16 (1 ) और अनुच्छेद 16 (2 ) में प्रावधान है कि लिंग के आधार पर राज्य किसी संगठन में कार्यरत कर्मियों में भेदभा भेदभाव नहीं कर सकता है।
- अनुच्छेद 39a के अनुसार राज्य अपने सभी कर्मियों के पुरुष एवं महिला के स्वास्थ्य के लिए प्रावधान करेगा साथ ही इस बात का भी विशेष ध्यान रखेगा की आर्थिक कारणों से महिलाओं का किसी भी प्रकार का शोषण ना हो।
- अनुच्छेद 518 a e के अनुसार प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि यह किसी ऐसी किसी भी परंपरा का अनुपालन नहीं करें जो महिलाओं की गरिमा के विरुद्ध है।
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